by Ishan Roy
अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के माधà¥à¤¯à¤® से पà¥à¤°à¤—ाॠहोती है साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• à¤à¤•à¤¤à¤¾, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• समरसता और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ के साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• ताने-बाने को रचने में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ की à¤à¥‚मिका अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। तथा इस पर बहà¥à¤†à¤¯à¤¾à¤®à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ हमेशा बनी रहती है। विशेष रूप से à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विविध संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाले देश में जहाठतक़रीबन 122 बोली à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ बोली जाती हैं, वहाठअनà¥à¤µà¤¾à¤¦ की à¤à¥‚मिका निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ रूप से बहà¥à¤¤ ही सशकà¥à¤¤ व मà¥à¤–र हो जाती हैं। अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के इसी महतà¥à¤µ को केंदà¥à¤° में रखते हà¥à¤ 'जयपà¥à¤° बà¥à¤• मारà¥à¤•' के पहले दिन के पाà¤à¤šà¤µà¥‡à¤‚ सतà¥à¤° में à¤à¤• सारà¥à¤¥à¤• परिचरà¥à¤šà¤¾ आयोजित हà¥à¤ˆà¥¤ विषय था " टà¥à¤°à¤¾à¤‚सलेटिंग नेशनल नैरेटिवà¥à¥›"।
साहितà¥à¤¯ और उसके अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ पर चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ सà¥à¤ªà¥‡à¤¨ के मूल निवासी और काशी हिंदू विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, वाराणसी से संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की पà¥à¤¾à¤ˆ करने वाले विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लेखक और अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤• ऑसà¥à¤•à¤° पूजोल ने कहा कि 'बनारस में रह कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने न सिरà¥à¥ž संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ को पà¥à¤¾ बलà¥à¤•à¤¿ वहाठके 'पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚' से इस à¤à¤¾à¤·à¤¾ और इससे जà¥à¥œà¥‡ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया'। जिसने बाद में à¤à¤• अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤• के रूप में उनकी बहà¥à¤¤ मदद की। शà¥à¤°à¥€ ऑसà¥à¤•à¤° ने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की कई उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ कृतियों और शबà¥à¤¦à¤•à¥‹à¤¶à¥‹à¤‚ का अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ सà¥à¤ªà¥‡à¤¨à¤¿à¤¶ में किया है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि 'à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे बहà¥à¤à¤¾à¤·à¥€ देश में 'à¤à¤• देश - à¤à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾' की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ अवà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• है। इस देश की आतà¥à¤®à¤¾ को समà¤à¤¨à¥‡ के लिठयहाठकी तमाम à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के साहितà¥à¤¯ को पà¥à¤¨à¤¾ व समà¤à¤¨à¤¾ ज़रूरी है और अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ इसका सबसे बेहतरीन रासà¥à¤¤à¤¾ है'।
राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ की सà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤®à¤§à¤¨à¥à¤¯ लेखिका, पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• और अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤• अनà¥à¤¶à¥à¤°à¥€ राठौर ने राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कहावत "चार कोस पर बदले बानी, आठकोस पर पानी" का उलà¥à¤²à¥‡à¤– करते हà¥à¤ कहा कि देश की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ साहितà¥à¤¯ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अनà¥à¤¦à¤¿à¤¤ हà¥à¤† है। जिससे यहाठके लोग अनà¥à¤¯ साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• कृतियों से परिचित हà¥à¤ हैं और यह उमà¥à¤®à¥€à¤¦ à¤à¥€ जगी है कि इसी तरह से राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ साहितà¥à¤¯ à¤à¥€ अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के पाठकों तक पहà¥à¤à¤š सकेगा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि 'चूà¤à¤•à¤¿ सारी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ आपस में कहीं न कहीं जà¥à¥œà¥€ होती हैं इसलिठअनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के ज़रिये à¤à¤¸à¥‡ साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• आदान-पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ से ही राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ की अवधारणा को बल मिलता है'।
मलयालम à¤à¤¾à¤·à¤¾ के जाने-माने पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• और नेशनल बà¥à¤• टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ ऑफ़ इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ की सलाहकार समिति के सदसà¥à¤¯ रह चà¥à¤•à¥‡ रवि डीसी ने अपने विचार रखते हà¥à¤ बताया कि 'मलयालम à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अधिकांश साहितà¥à¤¯ का अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ मौजूद है जिसका शà¥à¤°à¥‡à¤¯ इसके पाठकों को जाता है'। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि 'अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• महतà¥à¤µ के बावजूद इसे अà¤à¥€ वह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा नहीं मिली है जो मौलिक लेखन को मिलती है। इसके लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बाकायदा सरकारी रूपरेखा और योजनायें बनाने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ पर बल दिया'।
जानी-मानी लेखिका, समीकà¥à¤·à¤• और अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤• रकà¥à¤·à¤‚दा जलील ने परिचरà¥à¤šà¤¾ में अपने विचार रखते हà¥à¤ कहा कि अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के माधà¥à¤¯à¤® से राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ के सूतà¥à¤° को मज़बूत करने के लिठयह ज़रूरी है कि हम इतने बड़े देश के कोने-कोने में बोली जाने वाली सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के साथ ही वहाठकी 'बोलियों' को à¤à¥€ बराबर से महतà¥à¤µ दें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इन 'सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बोलियों' में ही किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ तथा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशेष की असली पहचान और सà¥à¤—ंध छिपी होती है। छोटी-छोटी धाराओं का महतà¥à¤µ किसी बड़ी नदी से कम नहीं होता। अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के लिठà¤à¥€ यही तरीक़ा ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कारगर है कि मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के साथ ही 'आंचलिक व सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बोलियों' को सारे पाठकों तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ जाय।
परिचरà¥à¤šà¤¾ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ वकà¥à¤¤à¤¾à¤“ं ने à¤à¤• सà¥à¤µà¤° से माना कि अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ का लकà¥à¤·à¥à¤¯ संकà¥à¤šà¤¿à¤¤ नहीं हो सकता इसलिठज़रूरी है कि हर उपलबà¥à¤§ साहितà¥à¤¯ का न सिरà¥à¥ž अधिकतम अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ हो बलà¥à¤•à¤¿ उसकी बिकà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ हो और उसे पà¥à¤¾ à¤à¥€ जाये। अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ को à¤à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के रूप में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना होगा। सतà¥à¤° का संचालन अदिति माहेशà¥à¤µà¤°à¥€ गोयल ने किया। इस सतà¥à¤° की पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ 'वाणी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨' की ओर से की गयी।