by Ishan Roy
परंपरा की जड़ में लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾
By- Aditya Narayan, Officially Blogger Jaipur Literature Festival
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की राजà¤à¤¾à¤·à¤¾, आधिकारिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ और लोक à¤à¤¾à¤·à¤¾ के अंतरà¥à¤¦à¥à¤µà¤‚द à¤à¤µà¤‚ अंतरसंबंधों को लेकर आज़ादी के बाद से ही तमाम बहस संसद के अनà¥à¤¦à¤° तथा बाहर होते रहे हैं| संविधान की आठवीं अनà¥à¤¸à¥‚ची में निहित 22 à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठके अतिरिकà¥à¤¤ अà¤à¥€ à¤à¥€ समय समय पर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को इसके आठवी अनà¥à¤¸à¥‚ची के अंतरà¥à¤—त लाने कि मांग उठती रहती है| तमाम बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ के पकà¥à¤· और विपकà¥à¤· में अपने अपने विचार हैं पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को लेकर जो समसà¥à¤¯à¤¾ हमारे सामने है वो है यà¥à¤µà¤¾à¤“ं का अपनी लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घटता चलन| ‘राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€â€™ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• बड़ी जनसà¤à¤–à¥à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में ली जाने वाली लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ है और 16वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में ये à¤à¤¾à¤°à¤¤ कि सबसे समृदà¥à¤§ à¤à¤¾à¤·à¤¾ मानी जाती थी| राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ में पदà¥à¤¯ लिखने की पमà¥à¤ªà¤°à¤¾ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ है| और पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• तौर से इसे लयबदà¥à¤§ तरीके से लिखा जाता था पर कालांतर में धीरे-धीरे इसमें आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† जिससे इसके सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª में à¤à¥€ काफी अंतर आया है| कविता आपके दिल को छू लेती पर वहीठकहानी आपके दिल को चीरते हà¥à¤ निकल जाती है और बहà¥à¤¤ दिनों तक आप उसके साथ रह जाते हैं| ‘राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€â€™ लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ के इनà¥à¤¹à¥€ पहलà¥à¤“ं, आकरà¥à¤·à¤£ और समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रहा ज़ी जयपà¥à¤° लिटरेचर फेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤² का आखिरी दिन|
‘राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€â€™ लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ पर बात करते हà¥à¤ राजà¥à¤¯ साहितà¥à¤¯ अकादमी अवारà¥à¤¡ विजेता बà¥à¤²à¤¾à¤•à¥€ शरà¥à¤®à¤¾ ने अपनी किताब ‘लहसà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾â€™ का जिकà¥à¤° करते हà¥à¤ कहा कि कैसे हमारे लोक परंपरा में माठबेटे के मधà¥à¤° संबंधों à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤¯à¤¾à¤° को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस किताब में दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ है| वà¥à¤¯à¤‚ग और हासà¥à¤¯ विधा कि तà¥à¤²à¤¨à¤¾ करते हà¥à¤ बà¥à¤²à¤¾à¤•à¥€ ने कहा कि ‘हासà¥à¤¯ के मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ वà¥à¤¯à¤‚ग कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² कला है| वà¥à¤¯à¤‚ग में आपकी समà¥à¤µà¥‡à¤‚दना सिà¤à¤‚ती है और इसीलिठवà¥à¤¯à¤‚ग पाठकों को चà¥à¤à¤¤à¥€ à¤à¥€ है’| यà¥à¤µà¤¾à¤“ं और बाल कहानियों पर अपना मंतवà¥à¤¯ जाहिर करते हà¥à¤ बà¥à¤²à¤¾à¤•à¥€ ने कहा कि ‘आज के लेखकों को यà¥à¤µà¤¾à¤“ं के यà¥à¤µà¤¾ बनकर तथा बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठबचà¥à¤šà¤¾ बनकर लिखने की जरà¥à¤°à¤¤ है| खà¥à¤¦ का उदाहरण लेते हà¥à¤ बà¥à¤²à¤¾à¤•à¥€ ने कहा कि वो कोई à¤à¥€ बाल कहानी लिखने के बाद अपने नाती-पोतों को उसे सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हैं और अगर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ये कहानियां पसंद आती है तो फिर किसी समीकà¥à¤·à¤• कि टिपणà¥à¤£à¥€ उनके लिठमायने नहीं रखती हैं’|
राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ और राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ राजà¥à¤¯ साहितà¥à¤¯ अवारà¥à¤¡ विजेता अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ सिंह आरहा राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उदासीनता पर दà¥à¤ƒà¤– जताते हà¥à¤ कहा कि ‘जहाठविदेश में रह रहे सिनà¥à¤§à¥€ या बीकानेरी मिलाने पर राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ में बात करते है वहीठहम राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में रह कर à¤à¥€ यहाठकी लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ में बात नहीं करते है और इससे कहीं ना कहीं राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ धीरे धीरे मरने लगी है’| 1200 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से चले आ रहे राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ के सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® इतिहास को बताते हà¥à¤ अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ ने कहा कि रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वीर रस में जैसा योगदान और दरà¥à¤¶à¤¾à¤¨à¥‡ की विधा राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ ने दिखाई है वैसी à¤à¤¾à¤°à¤¤ की किसी à¤à¤¾à¤·à¤¾ ने नहीं दिखाई है|लोक à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी पà¥à¤°à¥‡à¤® को बताते हà¥à¤ कमला गोयनका अवारà¥à¤¡ विजेता रीना मिनारिया ने कहा कि राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ उनके हर शबà¥à¤¦ में दिखता है और यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को फिर उन गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ को याद दिलाने कि जरà¥à¤°à¤¤ है जो उनकी जड़ है|
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान ने तमाम आधार और नियमों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आठवीं अनà¥à¤¸à¥‚ची का गठन किया है और आने वाले दिनों में उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठको उसमे जगह मिलेगी à¤à¥€, पर हमारा à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ कà¤à¥€ à¤à¥€ नहीं इस अनà¥à¤¸à¥‚ची में आना नहीं होना चाहिठबलà¥à¤•à¤¿ हमरा उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ हमेशा से इन लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के विकास पर होना चाहिठकà¥à¤¯à¥à¤•à¥€ आठवी अनà¥à¤¸à¥‚ची में आने का आखिर मतलब ही कà¥à¤¯à¤¾ होगा अगर उसे बोलने वाला कोई नहीं होगा|