ना बैरी ना कोई बेगाना

ना बैरी ना कोई बेगाना

Book launch Na Bairi Na Koi Begana by Surendra mohan Pathak in conversation with Poonam saxena

BY- Aditya Narayan, Official Blogger, Jiapur Literature Festival.

 

अपनी कलम से सुनील, सुधीर और विमल जैसे किरदार को जिन्दा करने वाले तथा अपनी सादगी से सबका दिल जीतने वाले सुरेन्द्र मोहन पाठक ने आख़िरकार अपनी जीवनी को अपने पाठकों को पढ़ने का मौका दिया है| तीन भागों में बटी ना â€˜à¤¬à¥ˆà¤°à¥€ न कोई बेगाना’ à¤•à¥‡ पहले भाग का अनावरण बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में किया| करीब 300 से ज्यादा किताबों और उपन्यासों के लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक के अनुसार उनको उनके संपादक ने अपनी जीवनी लिखने को प्रेरित किया| अपनी जीवनी के अंश पर तथा अपने कॉलेज के दोस्त जगजीत सिंह को याद करते हुए कहा कि ‘जो आपको पसंद और अगर वो आपको नहीं मिलता तो जो मिलता है उसी को अपनी पसंद बना लेना चाहिए’|

अपने किताब के अनावरण में आये युवाओं का हौसला अफजाई करते हुए कहा कि ‘कुछ लोग कहते है दिवार को धक्का देने से क्या होगा मैं कहता हूँ दीवार को धक्का देने से आप तो हिलेंगे ना? मैं भले ही बेहतरीन लेखक नहीं हूँ पर मै इतना जनता हूँ कि मैं एक निष्टावान लेखक हूँ और आपकी निष्ठा ही आपको बुलंदी पर पहुंचाती है’| सुरेन्द्र ने मजाक करते हुए कहा कि’ जासूसी कि बहुत किताबों और एक जैसे किरदार लिखने के बाद एक वक़्त ऐसा आया था जब मेरे प्रकाशक ने मेरी किताब छापने से मना कर दिया थी और मुझसे अपने किरदार को बदलने को कहा’ अपनीबात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि लेखन हलवाई के कारोबार जैसा होता है अगर आपकी जलेबी किसी को पसंद नहीं आती तो आप उनको बर्फी दे देते है और अगर बर्फी भी पुराना हो जाये तो लड्डू तो हमेशा ही तैयार ही होती है|

एक लेखक के तौर पर उन्होंने कहा कि किसी भी लेखक को, लेखक उसका प्रकाशक नहीं बनाता बल्कि उसे लेखक उसके पाठक बनाते हैं| सुरेन्द्र के अनुसार अगर कोई प्रकाशक किसी को लेखक बना सकता तब तो फिर वो सभी लेखक आज मशहूर होते जो भी उस प्रकाशक तक पहुचता है| अपने जीवन कि कुछ कड़वी यादों को भी साझा करते हुए सुरेन्द्र ने एक बॉलीवुड के बहुत बड़े निर्माता का उनके 42 उपन्यास को खरीदने के बात को सामने रखा|

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